बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 13
परम्परावादी अर्थशास्त्री : टी. आर. माल्थस
(Classical Economist : T. R. Malthus)
प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
अथवा
माल्थस के जनसंख्या सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
अथवा
माल्थस के सामान्य अति-उत्पादकता सिद्धान्त को बताइये।
उत्तर-
जैसाकि हम जानते हैं कि वणिकवादियों तथा प्रकृतिवादियों का यही विचार था कि धनी जनसंख्या राष्ट्र के लिए लाभदायक होती है। उन्हें जनसंख्या की बहुलता का कोई भय नहीं था क्योंकि वे समझते थे कि जनसंख्या तो अपने आप ही जीवन निर्वाह के साधनों से नियन्त्रित हो जायेगी। गॉडविन आशावादिता की चरम सीमा था। इसलिए उसने घोषित किया था कि "सरकार अपनी अति उत्तम अवस्था में भी एक बुराई है।" उसने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमें मनुष्य सम्पत्ति, विवाह, सम्भोग जैसे इच्छाओं के बन्धनों को तोड़कर केवल आधे दिन काम करने भर से ही प्रसन्नता से जीवन व्यतीत करेगा। इसके विचार से माल्थस के पिता सहमत थे। परन्तु माल्थस उनसे सहमत नहीं था। पिता और पुत्र के बीच इस विषय पर काफी वार्त्तालाप हुआ और उसी के परिणामस्वरूप 1798 में Principles of Population नामक निबन्ध का पहला संस्करण बिना नाम के प्रकाशित हुआ।
माल्थस का जनसंख्या सिद्धान्त
(Population Theory of Malthus)
माल्थस के ‘Principles of Population' नामक निबन्ध की बहुत आलोचना हुई। गॉडविन ने लिखा था, "मानव समाज में एक नियम है जिसके द्वारा जनसंख्या निरन्तर जीवन निर्वाह के साधनों की सीमा के अन्दर रहती है। अतः अमेरिका और एशिया की खानबदोश जातियों में भी हम नहीं पाते कि इतने युगों के बाद भी जनसंख्या इतनी बढ़ गयी है कि पृथ्वी पर खेती करने की आवश्यकता अनुभव हुई हो। " इसके विरुद्ध माल्थस ने व्यंग्यपूर्वक कहा, "यह सिद्धान्त जिसे मिस्टर गॉडविन ने इस प्रकार एक रहस्यमयी या जादुई साधन समझकर सम्बोधित किया है......दुःख, दुःख का भय तथा आवश्यकता को पीसने वाला नियम ही सिद्ध होगा। माल्थस ने यह निष्कर्ष दो बातों के आधार पर निकाला था-
(1) मनुष्य के जीवन के लिए भोजन आवश्यक होता है, और
(2) स्त्री और पुरुषों में सम्भोग इच्छा होना स्वाभाविक है और लगभग अपनी वर्तमान अवस्था में ही रहेगा। इसलिए वह इस परिणाम पर पहुँचा था कि "जनसंख्या की शक्ति अनिश्चित रूप से भूमि की मनुष्य के लिए निर्वाह उत्पन्न करने की शक्ति की अपेक्षा अधिक होती है। जब जनसंख्या अनियन्त्रित होती है तो गुणोत्तर अनुपात (Geometrical Ratio) से बढ़ती है। निर्वाह केवल अंकगणितीय अनुपात (Arithmetical Ratio) से बढ़ता है। इसके बाद उसने उन शक्तियों का वर्णन किया है जो जनसंख्या को नियन्त्रण में रखती है। यह थीं - व्यभिचार और दुःख। ऐसे हालात में एक सुखी समाज की आशा कभी भी नहीं की जा सकती।
विभिन्न आलोचनाओं का उत्तर देते हुए उसने निबन्ध का दूसरा संस्करण, 1803 में प्रकाशित किया था। इस संस्करण में सम्पूर्ण विवेचन अधिक तर्कपूर्ण था। पहले संस्करण में उसने जनसंख्या को नियन्त्रित करने वाली केवल दो शक्तियों की चर्चा की थी, परन्तु इस संस्करण में एक नयी रुकावट को बताया - नैतिक संयम। जनसंख्या का जो चित्र उसने पहले दिया था वह अत्यन्त ही भयंकर था किन्तु अब उसके विचार में उतनी कठोरता नहीं थी।
उसने अपने सिद्धान्त को तीन बातों में संक्षिप्त किया है :
(1) जनसंख्या आवश्यक रूप से जीवन निर्वाह के साधनों से नियन्त्रित होती है।
(2) जनसंख्या नित्य रूप से जीवन निर्वाह के साधनों की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ती है जब, तक कोई शक्तिशाली अवरोध उसे नहीं रोकते।
(3) ये अवरोध तथा वे अवरोध जो जनसंख्या की श्रेष्ठ शक्ति को दबाये रखते हैं और उसको जीवन-निर्वाह के साधनों तक सीमित रखते हैं, नैतिक संयम, व्यभिचार और दुःख में विभाजित किये जा सकते हैं।
पहली बात के सम्बन्ध में माल्थस ने कहा कि जनसंख्या प्रत्येक पच्चीस वर्षों में बढ़कर दुगुनी हो जाती है अथवा गुणोत्तर अनुपात से बढ़ती है। दूसरे के विषय में उसने लिखा है कि जीवन निर्वाह के साधनों को अंकगणित अनुपात से अधिक तीव्र गति से बढ़ाना सम्भव नहीं होता।
यह स्पष्ट है कि माल्थस ने काम प्रवृत्ति की शक्तियों का बहुत अधिक सहारा लिया है और उसका विश्वास था कि ये शक्तियाँ निरन्तर कार्य करती रहती है। उसने कहा, "जिस कारण की ओर मैं संकेत करता हूँ वह सभी प्राणियों में उनके लिए तैयार की गयी खाद्य सामग्री की अपेक्षा अधिक बढ़ जाने की प्रवृत्ति है।" इस प्रकार माल्थस के अनुसार जीवन निर्वाह के साधनों अर्थात् भोजन द्वारा सीमा के अन्दर रखी जाती है। उसके सिद्धान्त का सार केवल एक ही वाक्य में दिया जा सकता है; सभी प्राणियों में, उसके लिए तैयार की गयीखाद्य-सामग्री की अपेक्षा, अधिक तेजी से निरन्तर बढ़ने की प्रवृत्ति है।
माल्थस ने केवल जनसंख्या की उस एक प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित किया है और वह है अनियन्त्रित अवस्था में जनसंख्या निरन्तर बढ़ती जाती है। वह केवल यह बताना चाहता था कि जनसंख्या की स्वाभाविक प्रवृत्ति गुणोत्तर अनुपात में बढ़ने की होती है। इसी प्रकार उसने यह भी बताया कि खाद्य- सामग्री केवल अंकगणितीय अनुपात से अधिक नहीं बढ़ायी जा सकती जिसका अर्थ यह है कि भूमि पर उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होता है। माल्थस ने कहा था कि, “जिन लोगों को कृषि विषयों का तनिक भी ज्ञान है उनको यह स्पष्ट होना चाहिए कि जिस अनुपात में जोत बढ़ायी जाती है, उसके फलस्वरूप पिछली औसत उत्पत्ति में होने वाली वार्षिक वृद्धियाँ धीरे-धीरे नियमित रूप से घटती जाती है। परन्तु माल्थस ने इस नियम की स्पष्ट व्याख्या नहीं की।
निष्कर्ष - माल्थस वास्तव में ऐसा विचारक था जिसने जनसंख्या नियन्त्रण पर ऐसा अचूक दृष्टिकोण दिया जिस पर अमल कर इच्छित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। माल्थस ने अपने नवीन दृष्टिकोण से समस्त विद्वानों को प्रभावित किया। माल्थस के बाद जितने अर्थशास्त्री आये उन सभी ने माल्थस के विचारों को ही नये कलेवर में प्रस्तुत किया।
नव-माल्थसवादियों ने अपने सिद्धान्तों में नवीन विचारों को महत्व तो दिया परन्तु माल्थस के विचारों से ऊपर नहीं उठ पाये अतः अपने समय के बाद भी माल्थस अपने कृतित्वों के साथ जीवित है।
जनसंख्या सिद्धान्त की आलोचना
(Criticism of Population Theory)
माल्थस के सिद्धान्त की कई प्रकार से आलोचना की गयी है। कुछ आलोचकों के अनुसार माल्थस का यह कथन उचित नहीं है कि जनसंख्या गुणोत्तर अनुपात में बढ़ती है और 25 वर्ष में दुगुनी हो जाती है। कुछ लोगों के अनुसार माल्थस के सिद्धान्त की आलोचना इस आधार पर की गयी है कि निर्वाह के साधनों की वृद्धि अंकगणिती अनुपात मंा नहीं होती। इन लोगों के अनुसार माल्थस ने निर्वाह के साधनों की वृद्धि दर का निर्धारण मनमाने ढंग से किया है क्योंकि पौधों और पशुओं की वृद्धि दर मनुष्य की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। इसके अतिरिक्त पौधों और पशुओं को भी उचित प्रकार से भरण-पोषण नहीं हो पाने के कारण उनमें सदैव ही अपने को जीवित रखने के लिए एक संघर्ष करना पड़ता है। खाद्य सामग्री की वृद्धि अंकगणितीय अनुपात में होती है। इस बात को तथ्यों की सहायता से नहीं सिद्ध किया जा सकता है। नैसर्गिक अवरोधों के सम्बन्ध में भी माल्थस की आलोचना की गयी है। उसका विचार था कि जब जनसंख्या, निर्वाह के साधनों से अधिक हो जाती है तो आधिक्य जनसंख्या भूखमरी के कारण मर जायेगी। वास्तव में वह बताना चाहता था कि भोजन की कमी के कारण विपत्ति, मृत्यु, बीमारियाँ, सूखा, अकाल इत्यादि प्राकृतिक संकट उत्पन्न होते हैं जिनसे जनसंख्या का वह भाग जो निर्वाह के साधनों से अधिक है, नष्ट हो जाता है। परन्तु सच यह है कि भोजन की कमी, उत्पादन न कर पाने की अयोग्यता के कारण होती है, न कि जनसंख्या के आधिक्य के कारण। निवारक अवरोधों से माल्थस का अभिप्राय नैतिक संयम से था, परन्तु आलोचकों ने इसका अर्थ यह लगाया कि मनुष्य विवाहकाल में तीन बच्चों की उत्पत्ति के बाद अपने-आपको मैथुन क्रिया से वंचित रखे। परन्तु माल्थस ने ऐसा कभी नहीं कहा। नैतिक संयम का अर्थ माल्थस ने ऐसे विवाहित जीवन से लिया है जिसमें अनियमित रूप से भोग-विलास न किया जा सके। इन आलोचनाओं के बाद भी कहना होगा कि माल्थस का सिद्धान्त अपने स्थान पर अटल है।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
- प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
- प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
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- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
- प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
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- प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
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- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।